मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर त्वं रवे तारय स्वास्मानस्मात्संसार सागरात। अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥ मनोजवं मारुततुल्य वेगम् जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं अंजनी के नन्द दुखः दण्ड को दूर करो सुमित को टेर पूजूं श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि। सदा रहो रघुपति के https://isitedirectory.com/listings13227851/not-known-details-about-hanuman-mantra